पैसा , नोट और अमीरी का असली खेल
कभी अपने सोच है ?"अगर सरकार खुद नोट छाप सकती है , तो हमे आमिर क्यों नहीं बना देती "
"और जब विदेश से समान खरीदते है , तो उनके ही currency क्यों देनी पड़ती है और ये currency क्या सरकारी हो बनती है क्या ?"
ये सवाल हर किसी के दिमाग मे आता है
आज इस पोस्ट मे हम नोट छापने , महंगाई , और विदेशी करन्सी का पूरा खेल समझेगए
1. पैसा आखिर है क्या -
पैसा , यानि Currency असल मे एक वादा है | ये रुपये पर लिखा भी होता है :" मै धारक को 500 रुपये याद करने का वचन देता हूँ -RBI
पहले जमाने मे पैसा नहीं था , तब लोग Barter system (समान के बदले समान ) इस्तेमाल करते थे ( जिसे हिन्दी मे वस्तु विनिमय ) कहा जता है जिसमे -
गेहू के बदले कपड़ा
दूध के बदले चावल
लकड़ी के बदले फल
मिल जाता था और जीवन यापन हो जाता था लेकिन लोगो की जरूरत यह पर भी पूरी नहीं होई और उनकी जरूरत बदता गया जिससे समस्या ये थी की -
अगर तुम्हारे पास दूध है , और तुम्हें जूते चाहिए , तो पहले तुम उसे खोजों जिसके पास जूते हो और जिसे दूध की जरूरत भी हो 😅 ऐसे मे काफी कठिनाई होती थी और सामन के लेन-देने मे काफी मेहनत करती पड़ती थी कभी-कभी तो समान खराब हो जाता था जैसे दूध , चावल , गेहू पहले सभी के पास हुआ करता था तो कोई क्या ही किसी से बदले गया और जिसके पास नहीं हुआ करता था , उसके पास बदलने के लिए भी कोई सामन नहीं हुआ करता था इसी समस्या का समाधान करने के लिए कुछ और ही कदम उठाए गए -
नामक , अनाज, पशु, सोना-चांदी , तांबा
मसलन: 1 गाय =10 बोरी गेहू
जब सोना-चांदी से लेन - देन आसान लगा ,तब राजाओ और साम्राज्यों मे धातु के सिक्के बनाए उन पर राजा का नीसान होता था , जो भरोसा दिलाता था की ये असली है
2. सरकार ज्यादा नोट क्यू नहीं छाप देती ?
मान लो देश मे :
100 रु है
और 100 किलो गेहू है , तो 1 किलो गेहू =1 रु किलो होगा
अब सरकार ने अचानक से सोच " चलो सबको आमिर बना देते है और छाप दिया 1000 रुपया |
अब हालत ऐसे होगी -
लोगों के पास पैसा ज्यादा होगा
लेकिन गेहू ( समान ) अब भी 100 किलो ही है
सब खरीदना चाहेगे → Demand बढ़ेगी
समान कम है → कीमत बढ़कर कोई एक ही व्यक्ति सारा खरीद लेगा जिससे सर देश गेहू के बिना रहेगा
यानि महगाई ( Inflation ) सुरू
नोट बढ़े → चीजें महंगी → असली अमीरी नहीं, नकली अमीरी।
Barter → Commodity → Coin → Paper → Digita
🔹 2. हाइपरइन्फ्लेशन: जब नोट रद्दी बन जाता है
दुनिया मे कोई देशों ने ये गलती की है , जैसे
जिम्बाब्वे (2008)
1 रोटी = 10 करोड़ डॉलर
लोग नोट से आग जलाते थे क्युकी लकड़ी महंगी थी
वेनेज़ुएला (2016-18)
सैलरी करोड़ों मे
लेकिन उससे बस 1 चिकन आता था
इस लिए RBI और कोई भी देश का कंट्रोल बैंक नोट छपने मे बहुत सावधान रहता है
3. जब विदेश से सामान खरीदते हैं, तो उनका पैसा क्यों देना पड़ता है?
हर देश की अपनी currency होती है और ये currency सिर्फ और सिर्फ उसका देश ही बनाता है जैसे -भारत → ₹ रुपया
अमेरिका → डॉलर
जापान → येन
अब मान लो हमे एक iPhone खरीदना है
Apple बोला भाई डॉलर पेमेंट मे करो मै तुम्हारे देश का currency ले कर क्या करूंगा ( क्यू ये सिर्फ अपने देश मे ही चलता है ) तो हमे क्या करना पड़ेगा (रुपया से डॉलर मे बदलने का काम ) रुपया → डॉलर ये काम करता है बैंक और SWIFT SYSTEM जो international money संभाल कर रखता है वह से बदल के आपको दे दिया जाता है
1. Export (निर्यात) - अपना समान बाहर बेच कर और वह का currency कमाया जाता है
2. Foreign investment (निवेश)- विदेशी companies भारत मे पैसा लगती है
3. NRI Remittance - विदेश मे काम करने वाले भारतीय जब अपने घर वालों को पैसा भेजते है
ये जाली नोट माना जाएगा
पकड़े गए तो international Crime होगा
देश पर पाबंदी और आर्थिक संकट यानि खुद की currency ही चलेगी किसी और देश से आप कुछ खरीद नहीं पाओगे , investment करना बंद कर देंगे लो और आपके पास international currency खत्म हो जायगा जिसे आपके देश की जरूरत पूरी नहीं हो पाएगी
C. असली अमीरी क्या है ? नोट छापना = नकली अमीरी
असली अमीरी = मजबूत अर्थव्यवस्था
यानि :
ज्यादा उत्पादन
ज्यादा नौकरी और आय
ज्यादा निर्यात और विदेशी निवेश
असली अमीरी = मजबूत अर्थव्यवस्था
यानि :
ज्यादा उत्पादन
ज्यादा नौकरी और आय
ज्यादा निर्यात और विदेशी निवेश
✅ निष्कर्ष
सरकार सबको अमीर बनाने के लिए नोट छापेगी - महागाई और गरीबी बढ़ेगी
International व्यापार मे दूसरे देश की करन्सी ही चलती है
असली ताकत अर्थव्यवस्था , उत्पादन और Forex Reserve मे है , सिर्फ नोट मे नहीं